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दोस्तों | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©भरत मल्होत्रा

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र


 

माना कि ये ज़माना बेरहम है दोस्तों

पर आपके होते हुए क्या गम है दोस्तों

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इतना प्यार आपसे मिला कि मेरी जीस्त

एहसान चुकाने के लिए कम है दोस्तों

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थोड़ा सा राम थोड़ा सा रावण है सभी में

अच्छे बुरे का आदमी संगम है दोस्तों

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हालात के पुरज़ोर थपेड़ों के बावजूद

बुलंद अपनी यारी का परचम है दोस्तों

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आपके लगाव को जो कर सके बयान

मेरी शायरी में इतना कहां दम है दोस्तों

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