नहीं रहे वरिष्ठ साहित्यकार सूरजपाल चौहान जी | Newsforum
नई दिल्ली | वरिष्ठ साहित्यकार सूरजपाल चौहान जी हमारे बीच नहीं रहे। वे सम-सामयिक व ज्वलंत सामाजिक मुद्दों को जीवनभर उठाते रहे, लड़ते रहे। समाज में फैली ऊंच-नीच की खाई के वे कट्टर विरोधी थे और जीवन पर्यंत इसकी खिलाफत की। उनकी रचनाओं में इसे साफ रूप से देखा जा सकता है।
उनकी अनेक रचनाएं, पुस्तक व कहानियों का संकलन उपलब्ध है। साहित्यकार श्याम निर्मोही, बीकानेर का उनसे विशेष लगाव था। बाजार में उनकी अनेक ज्ञानवर्धक पुस्तकें उपलब्ध हैं जो युवाओं का सदैव पथप्रदर्शक रहेंगी। उनका असमय जाना समाज व साहित्य की दुनिया में अपूर्णिय क्षति है। उनकी रचनाएं तार्किकता की कसौटी पर खरी और ओज पूर्ण रहीं है। उन्होंने अनेकों रचनाएं, लेख, कहानियां आदि लिखा है। उनकी रचनाएं वीर रस से ओत-प्रोत रहीं हैं।
बीकानेर, राजस्थान के साहित्यकार श्याम निर्मोही जी ने न्यूज फोरम को बताया कि वैसे तो उनसे निरंतर बात होती रहती थी लेकिन पिछले एक महीने से बात नहीं हो पा रही थी। मैंने उन्हें बार-बार फोन किया; फोन भी बंद रहा। एक बार बिटिया से बात हुई तो उसने बताया कि पापा बात करने में असमर्थ हैं; तबीयत बहुत ज्यादा खराब है। दलित साहित्य पढ़ने और लिखने के लिए लगातार आपका मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलता रहा। वरिष्ठ साहित्यकार सूरजपाल चौहान की प्रतिनिधि कहानियां का मैं संपादन कर रहा था और जिसकी अभी प्रूफ रीडिंग चल रही है।