.

ऐसे लोकतंत्र को शत्-शत् प्रणाम है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©हिमांशु पाठक, पहाड़

परिचय- नैनीताल, उत्तराखंड.


 

चाय वाला पीएम बने,

रिक्शे वाला सीएम बने।

ऐसे लोकतंत्र को शत्-शत् प्रणाम है।

सन्यासी भी आवश्यकता पड़ने पर,

राज-धर्म निर्वहन करने को तैयार है।

प्रजा संग न्याय करे, सुरक्षा प्रदान करे,

ऐसे लोकतंत्र को शत-शत प्रणाम है।

ऐसे भारत के विधान को प्रणाम है।

अंतिम पंक्ति में बैठा हुआ अंतिम व्यक्ति,

जब सत्ता के शीर्ष पर, जब विराजमान हो,

ऐसा हो पाना तो भारत में ही संभव है,

भारत के ऐसे संविधान को प्रणाम है।

समभाव और समरसता का भाव जहां,

विश्व-बंधुत्व, वसुधैव कुटुंबकम्,

और सर्वधर्म समभाव का जहां भाव हो,

ऐसी पावन धरा, ऐसे भारत भूमि को,

कवि हिमांशु का शत्-शत् प्रणाम है।

 

ये भी पढ़ें :

संविधान की पीड़ा | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन


Back to top button