महोब्बत करते थे, तो बता देते | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©मुस्कान केशरी
अरें जब तुम महोब्बत कर सकते थे,
तो फिर बता भी देते,
यूँ छुपाने से तुम्हें क्या मिला,
यूँ डरने से तुम्हें क्या मिला,
मुझे खोने से तुम्हें क्या मिला,
बस अकेलपन मिला होगा,
बस जख्म मिला होगा,
मेरी पुरानी यादें याद आती होगी,
इसके अलावा तुम्हें क्या मिला,
तुम मुझ से कितनी महोब्बत करते थे,
तुम्हारी वो सच्ची महोब्बत थी,
या झूठी महोब्बत
ये बस तुम्हारा दिल जानता है,
क्योंकि तुमने मुझे भी कभी नहीं बताया,
सच्ची दोस्ती खो जाने के डर से,
तुमने अपनी महोब्बत को ,
एक तरफा महोब्बत का नाम दे दिया,
काश कभी तुमने मेरी जज़्बातों ,
को सही से समझा होता,
काश! तुम सही राह चुन लेते,
तो शायद ऐसा नहीं होता,
तुम्हारा यूँ छुपाना,
बहुत भारी पड़ा हमारा जिदंगी पें
खैर जो गलती हो चुकी,
इसका पता नहीं लगाना मुझे,
मुझे बस तुम्हें चाहना है,
मुझे बस तुम्हें पाना हैं,
तेरे ही साथ पुरी जिंदगी बीताना है,
तेरे साथ संसार घूम आना है,
अब दो तरफा बनना है,
हाँ! मुझे अपना प्यार वापस पाना हैं।
पाना हैं,
पाना हैं,
ये भी पढ़ें :