चलो मिलके चलें | ऑनलाइन बुलेटिन
©गायकवाड विलास
परिचय- लातूर, महाराष्ट्र
(मनहरण घनाक्षरी काव्य)
नहीं जिंदगी आसान,
हम सभी मेहमान ,
गर्व मन से मिटा के,
चलो मिलके चलें ।
खुशी का नहीं ठिकाना,
हमें है उसे ढूंढना ,
राहत नहीं मिलती ,
चलो मिलके चलें ।
मुश्किलें बहुत यहां,
बेचैन है ये सारा जहां,
भाग रही है जिंदगी,
चलो मिलके चलें ।
चलो सहारा बनके,
भीगी हुई है पलकें,
कल किसने देखा है,
चलो मिलके चलें ।