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साहित्य मित्र वाले | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©अरविन्द कालमा


 

अर्चना सिंह अरविन्द कालमा लड़ते हैं

विरह वेदना में कुमार अतुल राव जलते हैं।

प्रीति गौतम ग़म की ग़ज़लें गाती है

बौद्ध प्रीति रीत प्रीत की निभाती है।

 

हरदीप बौद्ध हैं शान्ति के प्रतीक

भूताराम जी देते समानता की सीख।

प्रकाश ‘मस्त’ पाखंडवाद के विरोधी हैं

पूनम बागड़िया दिल के जज्बात पिरोती है।

 

सबके दिलों पर राज राणावत का

बाबू जी जाखल को शौक दावत का।

तीनों लोकों के त्रिदेव त्रिलोक

भरत वाणिया को टिप्पणी का शौक।

 

अनु गुप्ता जी दिल्ली की नवाब

शंकर जी को अधिकारी बनने का ख़्वाब।

झँवतेश जी की कविताएँ न्यारी

नीरज सिंह का संघर्ष हरपल जारी।

 

प्रकाशराज सुनाते महापुरुषों की वाणी

मासूम पिंकी की अलग ही कहानी।

साधना हरियाणवी की बातें बेबाक गहरी

रौनक लाती डॉ.संजय जी की शायरी।

 

डूंगर जी की शालीनता में कमी नहीं

कृष्ण पाल की आँखों में नमी नहीं।

विद्रोही जी की कलम विद्रोह करती

मनुवेर मोहन की वर्दी अपराध हरती।

 

अपर्णा ध्रुव उपन्यासों की दीवानी

वादियों में बसती संजना की जिंदगानी।

दिलीप जी हास्य रस के ठहरे कवि

कानाराम जी में दिखती फूले सी छवि।

 

नरेश जी व्यंग्यों से नहीं आते बाज

भरत सोलंकी खोलते अतीत का राज।

धर्मेन्द्र जी हैं आलेखों के बादशाह

वसन वाणिया दिखाते सफलता की राह।

 

माटी की खुशबु बिखेरते सुरेन्द्र बिहारी

वांका राम जी की मारवाड़ी प्यारी।

शिवांगी मिश्रा संगीत की फनकार

वचन मेघ में दिखता मायड़ से प्यार।

 

ललित बाजक लक्ष्य को भेदने वाले

रामचन्द्र जी ठहरे अंग्रेजी के मतवाले।

रमेश धोरावत सुकूनशास्त्र गढ़ते हैं

पवन गोयल लयबद्ध रचनाएँ पढ़ते हैं।

 

भूपसिंह जी सदा छंदों को पढ़ाते

विशाल जी मुक्तक का भोग चढ़ाते।

रूचि जी में रूचि मोटिवेट करने की

भावना में भावना सरहद पे मर मिटने की।

 

नरपत परमार जो कभी कभार दिखते

सुणतर का सच परमार नरेंद्र लिखते।

कांतिलाल जी खामोशी के प्रतीक

इन सबसे मिलती जन-जन को सीख।

 

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