दिल मेरा हरसिंगार हो जैसे | ऑनलाइन बुलेटिन
©भरत मल्होत्रा
परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र
हल्का-हल्का खुमार हो जैसे,
हर तरफ प्यार-प्यार हो जैसे,
ओस यादों की ऐसे झरती है,
दिल मेरा हरसिंगार हो जैसे,
हवाओं में नमी सी लगती है,
थोड़ी तू बेकरार हो जैसे,
मुझमें शामिल हैं इस तरह से तू,
गुलशन में बहार हो जैसे,
तेरी आवाज़ ऐसे लगती है,
कहीं बजता सितार हो जैसे,
ऐसे दिखती है तू हज़ारों में,
राख में इक शरार हो जैसे,
ये भी पढ़ें :