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स्वातंत्र्य, समता और बंधुता से…

©गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

 

खिले हुए चमन को तुम ऐसे ही खिलने दो,

महके उठी खुशबू को तुम ऐसे ही बिखरने दो।

बड़ी मुश्किल से मिली है ये आज़ादी हमें यारों,

उसी आजादी का झंडा यहां ऐसे ही लहराने दो।

 

सारे जहां में ऐसा देश नहीं है दुजा कोई,

जिस देश में सभी जाति धर्मों का सुन्दर बसेरा है।

इंद्रधनु जैसा निखरा हुआ है ये देश हमारा,

जहां मंदिर,मस्जिद,चर्च और गुरुद्वारा सभी का भाईचारा है।

 

कौन ऊंच कौन नीच किसके लहू का रंग यहां न्यारा है,

अब तो समझ जाओ कोई इन्सान यहां अलग नहीं है।

बदल डालो सोच अपनी,नफरतों से कभी कुछ मिलता नहीं,

मुसीबतों के वक्त यही इन्सान,यहां इन्सानों के काम आया है।

 

वो लहराता तिरंगा भी देखो कई रंगों का प्रतिक है,

वो राष्ट्रगान हमारा एकता और अखंडता संदेश देता है।

उसी तिरंगे के लिए कई पीढ़ियां खत्म हुई है यहां पर,

भूल न जाओ कभी तुम उन्हीं शहिदों का लहू भरा सफर।

 

खिले हुए चमन को तुम ऐसे ही खिलने दो,

महके उठी खुशबू को तुम ऐसे ही बिखरने दो ।

इन्सान बनके जियो और जीने दो सभी को यहां खुशहाल,

स्वातंत्र्य,समता और बंधुता से इस देश को ऐसे ही महकने दो – – – ऐसे ही महकने दो।

Gaikwad Vilas, Latur, Maharashtra
गायकवाड विलास

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