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मेरी अधूरी कहानी | ऑनलाइन बुलेटिन

©भरत मल्होत्रा

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र


 

 

इक तो अब हो गई पुरानी भी,

हमको आती नहीं सुनानी भी,

 

 

तुम अपने गम से भी नहीं खाली,

है अधूरी मेरी कहानी भी,

 

 

आशिकी मर्ज़ लाइलाज भी है,

और पैगाम-ए-ज़िंदगानी भी,

 

 

थोड़ा तूने भरोसा तोड़ दिया,

थोड़ी दिल को थी बदगुमानी भी,

 

 

कभी सैलाब तो कभी शोले,

आँख में आग भी है पानी भी,

 

 

कुछ तो गलतियाँ थीं अपनी और,

कहर कुछ टूटा आसमानी भी,

 

 

वो ना आए खत लिखे कितने,

पैगाम अलग दिए ज़ुबानी भी,

 

 

हमने दामन में भर लिए अपने,

तेरे सितम भी मेहरबानी भी,

 

 

 

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