प्रेमालिंगन | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़.
देख कर तेरी चंचल जवानी,
लिख रहा हूं मैं प्रेम पत्रिका।
तुम हो कुसुम मन बगिया के,
मैं मधुप दीवाना खुशबू का।।
तेरी गली में जाता हूं बार-बार,
करता हूं युगल नजरों से इशारे।
मंद-मंद मुस्कुरा के शर्माती हो,
बुलाती हो मिलने को अंधियारे।।
आज मिलन का मौसम आया है,
संवार रहा हूं कृश उल्झे लटों को।
हस-हस कर रहे हैं हम दोनों बातें,
मेरे बदन में बिखेर दिए पटों को।।
निशीथ में मकरंद रसपान किया,
खुले गगन में कर रहा था विचरण।
स्वर्ग का आनंद मिला था मुझको,
अंग-अंग में शक्ति का नव संचरण।।
हम दोनों मदमस्त थे प्रेम मस्ती में,
रुकने का नाम नहीं लिए एक पल।
प्रेम गीत गाता सूर्य का हुआ उदय,
तिमिर का प्रेम आलिंगन गया ढ़ल।।