वही है जगत जननी | ऑनलाइन बुलेटिन
©गायकवाड विलास
परिचय- लातूर, महाराष्ट्र
बेटी है वो कोई जंजाल नहीं संसार में,
उन्हीं के बदौलत है सारे संसार में खुशियां छाई।
भर दो उनके भी दामन में खुशियां सारी,
उन्हीं के लिए यहां क्युं बनी है संसार में प्रीत पराई?
उड़ने दो उन्हें भी बेख़ौफ़ आसमान में,
अरमान लेकर आयी है वो भी यहां संसार में।
बेड़ियां बंधनों की तोड़कर जीने दो उन्हें,
सोचो बेटियों बिना क्या रखा है इस संसार में।
नफ़रत करके बेटियों से गर मिटाते रहोगे कलियां,
फिर ये चमन एक दिन उजड़ जानेवाला है।
मां,बहन,बीवी और बेटी कई रुप है उसी के यहां,
बेटियां सिर्फ बेटियां नहीं वो तो रिश्तों की प्रेमभरी डोर है।
बीत गई सदियां,बदल गया ये सारा संसार,
लेकिन आज भी इस संसार में होता है उन्हीं पर अत्याचार,
ये बेटियां तो फूलों जैसी एक अनुपम सौगात है।
बेटी है वो कोई जंजाल नहीं संसार में,
उन्हीं के बदौलत है संसार में खुशियां छाई।
भर दो उनके भी दामन में खुशियां सारी,
वही है जगत जननी, उन्हीं के बिना ये सारा संसार अधूरा है।
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