सूरज | ऑनलाइन बुलेटिन
©नरेन्द्र प्रसाद सिंह
परिचय- नवादा, बिहार
पहाड़ की ओट से निकला सूरज
ठीक बारह बजे पर्वत के माथे पर चढ़ा
गर्मी की कुलबुलाहट से पहाड़
झाड़ियों- वृक्षों में जा छिपा
रातभर शांतचित्त सोता रहा
सुबह उठा
कंक्रीटों के बीच से पहाड़ बनकर
देखने लगा रातों रात बने इमारतों को
तारकोल की चादर ओढ़कर
चिपचिपाते सड़कों में
टायरों से रौंदे जाते हुए।
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