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वर्ल्डवार के मुहाने पर विश्व | ऑनलाइन बुलेटिन

©रामकेश एम यादव

परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.


 

दुनिया को सुलगता देखना चाहता है अमेरिका,

खून की नदी भी बहाना चाहता है अमेरिका।

भिड़े रहें दुनिया के देश कहीं न कहीं वो युद्ध में,

दूर से तमाशा देखना चाहता है अमेरिका।

 

दुश्मन देश की कमर तोड़ने में पहले से है माहिर,

मिसाइलों से गगन सजाना चाहता है अमेरिका।

तख्तापलट का काम भी लेता है अपने हाथ में,

कठपुतली सरकार तब बैठा देता है अमेरिका।

 

 

सीरिया,इराक,यमन,अफगानिस्तान में घुसा तो था,

कभी-कभी उल्टे दांव पर शर्म खाता है अमेरिका।

हजारों किमी दूर जाकर लड़ती है अमेरिकी फौज,

कभी-कभी बहुत नुकसान भी उठाता है अमेरिका।

 

 

युद्ध शुरु करने से पहले सौ बार क्यों नहीं सोचता,

रुस के प्रभाव को कम करना चाहता है अमेरिका।

सुंयुक्त राष्ट्र नहीं निभा सका अपनी जिम्मेदारियाँ,

गाहे-बगाहे इसी का फायदा उठाता है अमेरिका।

 

 

आखिर कब हँसेंगे औ मुस्कराएँगे वो चाँद-सितारे,

क्यों अपनी मर्जी से विश्व को नापता है अमेरिका।

वर्ल्डवार के मुहाने पर ला खड़ा किया वो दुनिया,

क्यों आजादी का ठीकेदार बन जाता है अमेरिका।

 

 

साम- दाम- दण्ड-भेद का है वो पहले का पुजारी,

खैरात का हाथ दिखाकर लूटता है अमेरिका।

कब होगी कायम पूरी कायनात पर उसकी सत्ता,

यही दिवा-स्वप्न निशि-दिन देखता है अमेरिका।

 

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