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श्रमिक दिवस ….

©पूनम सुलाने-सिंगल

परिचय- श्रीनगर से….

 

  अपने परिवार का गुजारा करने के लिए जो व्यक्ति मेहनत करके पैसे कमाता है उसे मजदूर कहा जाता है। इन्हीं मजदूरों को समाज के लोगों ने 2 वर्ग में बांटा है जिसमें सबसे पहले अगर देखा जाए तो मजदूर की नजर से उनको देखा जाता है जिनको बहुत ज्यादा मेहनत करने के बाद भी बड़ी मुश्किल से उतनी ही रकम मिलती है जितने में उनका केवल गुजारा हो सके

और एक दूसरा वर्ग जिससे पूरा समाज मजदूर होकर भी मजदूर नहीं मानता वह है अमीर मजदूर क्योंकि उनको उनके द्वारा किया गया काम भले ही ज्यादा श्रम का ना हो मगर बुद्धि के जोर पर किए गए काम के बदले बहुत ज्यादा रकम मिलती है जिसके चलते वह अपने और अपने परिवार की सभी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेते हैं। तो आज का हमारा विषय है अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस जो की 1 मई से 1886 दिन में 8 घंटे ही काम का समय हो इस मांग को लेकर अमेरिका के मजदूर यूनियनों ने हड़ताल की थी। इस हड़ताल के दौरान पुलिसो ने श्रमिकों के पर गोलियां भी चलाई गई थी जिसमें सात श्रमिकों की मौत भी हुई थी और इतना ही नहीं इसी हड़ताल के दौरान शिकागो की मार्केट मे बम धमाका भी हुआ था।

हालांकि उस समय अमेरिका के शासनकाल पर उस हड़ताल का और सभी घटनाक्रम का इतना ज्यादा असर नहीं पड़ा मगर कुछ समय बाद अमेरिका में श्रमिकों के 8 घंटे काम करने से संबंधित नियम लागू हो गए और उसके के बाद कहां जाता है कि, 1 मई 1923 मे पहली बार चेन्नई मे मजदूर दिवस मना कर भारत में भी श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने से संबंधित नियम लागू किए गए। यही वजह है की1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है।

अगर देखा जाए तो पूरा मजदूर वर्ग यह पूरे राष्ट्र का निर्माता होता है क्योंकि,, देश के छोटे से छोटे कार्य में श्रमिकों का पूरा योगदान होता है रोड निर्माण का काम हो चाहे औद्योगिक क्षेत्र का कोई भी काम हो बिना श्रमिक के कोई भी देश अपनी प्रगति नहीं कर सकता इसीलिए देश के हर एक श्रमिक को अपनी मेहनत का पुरा दाम दिया जाए यह उसका अपना अधिकार है। आज भी हमारे देश में कहीं ऐसे मजदूर है जो शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाओं से बहुत बहुत दूर है ऐसे मजदूरों के लिए सरकार द्वारा कहीं योजनाएं चलाई जाती है मगर शिक्षा के अभाव के कारण अपने हक और अधिकार से वंचित इस श्रमिक वर्ग को सरकार द्वारा दी गई सुख सुविधाएं भी समाज के कुछ भ्रष्टाचारी अधिकारियों के चलते ठीक से उपलब्ध नहीं हो पाती है अगर देखा जाए तो जो मजदूरों का अधिकार छीनने वाले ऊंचे पद पर बैठे हुए अधिकारी भी एक मजदूर ही होता है मगर पूरे दिन मेहनत करके रात को बिना नींद की गोली खाए अपने परिवार के साथ सुख चैन से सोने वाला मजदूर अगले दिन के साधन जुटाने के लिए फिर से श्रम करते-करते अपनी पूरी उम्र गवा देता है।वहीं पर मजदूरों के लिए सरकार द्वारा चलाई गई सुख-सुविधाओं को न पहुंचाकर अपना घर भरने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को सोने के लिए रात में नींद की गोलियां खानी पड़ती है। यह आज के हमारे देश के मजदूरों की वास्तविक परिस्थिति है। जहां सबसे गरीब श्रमिक वर्ग को अपने एक दिन की रोजी रोटी का सवाल होता है वहीं पर अपने हक और अधिकार के लिए लड़ने की भला कहां उनको फुर्सत होती है। पूरा जीवन जिनका संघर्षमय होता है ऐसे कामगार श्रमिकों के सम्मान में मनाए जाने वाले श्रमिक दिवस की विश्व के सभी श्रमिक वर्ग को हार्दिक-हार्दिक शुभकामनाएं।

 

 


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