जीत-जीत सोच…
©अशोक कुमार यादव (शिक्षक)
जीत-जीत सोच तू जीत जायेगा।
हार से कभी न फिर घबरायेगा।
अकेला चल राह में कदमों को बढ़ा,
एक दिन तेरा ये मेहनत रंग लायेगा।।
कुरुक्षेत्र के मैदान में जंग है जारी।
जी जान लगा अपनी कर तैयारी।
धनुर्धारी अर्जुन बन संशय में न घिर,
कृष्ण की तरह दिखा विराट अवतारी।।
मंजिल की आंखों में पहले आंखें तो मिला।
लक्ष्य पाने मनबाग में कुसुम तो खिला।
नित कर्म ही तेरा भाग्य है वीर मनुज,
रुकना नहीं चाहिए अभ्यास का सिलसिला।।
आयेंगी चुनौतियां तेरी लेने परीक्षा।
दृढ़ पर्वत के समान खड़ा कर प्रतीक्षा।
साहस भरके मन में सामना तो कर,
मिलेगी सफलता पूरी होगी हर इच्छा।।
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