Maharaja Sayajirao Gaekwad : बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ की 84वीं पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन


©राजेश कुमार बौद्ध
परिचय- संपादक, प्रबुद्ध वैलफेयर सोसाइटी ऑफ उत्तर प्रदेश.
Maharaja Sayajirao Gaekwad : Regards to Maharaja Sayajirao Gaekwad of Baroda on his 84th death anniversary.
(1) उन्होंने ही सर्वप्रथम सख्ती से मुफ्त प्राथमिक शिक्षा (Free Primary Education) अपने राज्य में चालू की थी।
(2).उन्होंने ही बहुजन (OBC, SC & ST) मेधावी विद्यार्थियों को हर साल स्कॉलरशिप दी।
(3).उन्होंने पर्दा प्रथा, बाल- विवाह और कन्या बिक्री बंद कराया।
(4).उन्होंने अन्तरजातीय विवाह और विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया।
(5). उन्होंने अमानवीय अस्पृश्यता (untouchability) निवारण के लिए विशेष कार्य किये।
(6). उन्होंने अपने राज्य में पुस्तकालयों (Liabraries) का जाल बिछा दिया था। उन्होंने चलते फिरते पुस्तकालय भी चालू किये थे। इसलिए उनको भारतीय पुस्तकालय आंदोलन का जनक भी माना जाता है।
(7). उनका सबसे बड़ा कार्य जिसके कारण आज उनको विशेष प्रसिद्धि मिल रही है वह है 1913 मे उनके द्वारा “भीमराव अ़ंबेडकर” को दुनिया की सबसे मशहूर अमेरिका की कोलम्बिया विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए साढे ग्यारह (11.5) डालर प्रति माह छात्रवृत्ति देकर भेजना।
उनके बहनोई कोल्हापुर नरेश साहूजी महाराज बालक भीमराव अंबेडकर की विलक्षण प्रतिभा से अत्यधिक प्रभावित थे इसलिए उन्होंने पत्र लिखकर अपने साले सयाजीराव गायकवाड़ महाराज से सिफारिश की कि वे भीमराव अंबेडकर को अपने राज्य में होने वाली छात्रवृत्ति परीक्षा में बैठाये। गायकवाड़ महाराज ने साहूजी महाराज की बात मान कर ऐसा ही किया।
भीमराव अंबेडकर ने वह छात्रवृत्ति परीक्षा अत्यधिक रिकॉर्ड तोड़ अंक लेकर उत्तीर्ण की, फलस्वरूप उन्हें प्रथम छात्रवृति दी गई जिसके कारण उन्हें विश्वप्रसिद्ध अमेरिका की कोलम्बिया विश्वविद्यालय भेजा गया। डा. अंबेडकर पहले भारतीय हैं जिन्होंने कोलम्बिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डाक्ट्रेट (Ph D) की उच्चतम शिक्षा ग्रहण की।
महाराज गायकवाड़ का निधन 76 वर्ष की आयु में 06 फरवरी, 1939 को हुआ 76 वर्ष की आयु में जब महाराज का निधन हुआ तो बहुजन मे ं मातम छा गया था। ऐसे महान मानवता- वादी दयालु महाराज को हम सादर श्रद्धाँजलि के साथ साथ ‘शत-शत नमन’ करते हैं। उनके देहांत की खबर सुनकर अपने ‘शोक सन्देश’ में ‘बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर’ ने अश्रुपूर्ण शब्दों में कहा था कि “हमने महाराजा के रूप में बडौदा रियासत का कर्तव्य परायण राजा, सामाजिक सुधार कार्यों का ‘नेता’ और ‘अछूतों का सच्चा मित्र’ गंवा दिया है।”