धरती मां | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़.
तू ममता की मूरत है
मेरी माता की सूरत है
जननी जन्मभूमि मां
मुझे तेरी जरूरत है
मां की पेट से निकल
मैं हो गया था विकल
अपनी आंचल में लेकर
कर दिया जीवन सफल
नींद भर सोता हूं गोद
लेकर चेहरे में आमोद
चलता था घुटनों के बल
खा जाता था मिट्टी खोद
पैरों के बल चलना सिखाई
अद्भुत मनोरम दृश्य दिखाई
युवा हुआ मैं उंगली थामकर
धरा की करने लगा कविताई
नित नया पुछना एक सवाल
रख सकूं मैं तुम्हारा ख्याल
बेटा हूं मैं तुम्हारा आज्ञाकारी
मरते दम तक करूंगा देखभाल