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मेरा स्वदेश | Newsforum

©प्रीति विश्वकर्मा, ‘वर्तिका’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

परिचय: अवध विश्वविद्यालय से 2017 में बीएससी किया, कोचिंग क्लास का संचालन.


 

नदियों का संगम, कहीं देता हिमालय है पहरा

कलरव करते पंछी, कहीं होता है सवेरा सुनहरा

 

भिन्न भिन्न धर्मों की, हिन्दुस्तान एक पहचान

विभिन्न ॠतुयें संजोये, ये पुण्य धरा है महान

 

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, सारे धर्मों को सम्मान मिले

भूल सारे शिकवे गिले, हिन्दू मुस्लिम यहां गले मिले

 

ईद की सेंवई, दिवाली की गुझिया, खा हम बड़े हुये

कहीं जले दीप खुशी के, कही दो दिल गले मिले हुये

 

ऐसी पावन भूमि है भारत, प्रत्येक धर्म के दीप जले

यहां जन्मे राम अयोध्या में, गोद यशोदा कान्ह पले

 

प्रेम प्रतीक ताज बना, शिमला की ठंडक लुभाती है

भाती खुश्बू माटी की, हल्की खट्टी दही सुहाती है

 

झांसी ने युद्ध लड़ा, रानी पद्मावती ने जौहर किया

प्रीत हुयी राधेकृष्ण, गयी राम संग वनवास सिया

 

भारत का इतिहास है ऐसा, स्वर्णिम पन्नों पे लिखा गया

विविध संस्कृतियों का मेल, आपस में समा गया।।


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