मेरी जिंदगी | ऑनलाइन बुलेटिन
©भारती नंदनी, मस्तूरी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
मेरी जिंदगी
मैं जो चाहूंगी
वो करूंगी
सपनों की नई
उड़ान भरूंगी
पत्थर ना फेंकना
मेरे अरमानों के
दरिया में
उसकी तरंगों से
भी लड़ना सिखूंगी
मेरी जिंदगी
मैं जो चाहूँगी
वो करूंगी
तुम्हारे दकियानूसी
बातों को उखाड़
फेकूंगी
शब्दों के जंजीरों से
पैर में बेङिया
न बाधूंगी
मन में जो जज्बात है
उसे झूठे अहंकारो
ना रोकूंगी
मेरी जिंदगी
मैं जो चाहूंगी
वो करूंगी
अपना फैसला
खुद करूंगी
अच्छा हो या बुरा
उसकी जिम्मेदार
मैं स्वयं रहूंगी
मेरी जिंदगी हैं
अपने तरीके से
जिऊंगी
अपनी मंजिल खुद
तय करूंगी
अपनी बैसाखी
तुम्हें ना पकड़ाऊंगी
मेरी जिंदगी
मैं जो चाहूँगी
वो करूंगी ….