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गैर कानूनी क्या है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

गैर कानूनी क्या है हमारे इस संस्कृति भरे देश में,

यही मैं हर दिन यहां पर पल-पल सोच रहा हूं।

जहां संविधान का ताज है इतना चमकता हुआ,

ऐसे देश में गैर कानूनी कहना भी बेबुनियाद है।

 

चुनाव की पारदर्शिता भी देखो कितनी है निर्मल,

वहां नहीं कोई बेईमानी जनता के हाथों में है जिसका हल।

जहां “सत्य मेव जयते”का नारा गुंजता हो देश में,

ऐसे देश में जगह-जगह पर जनता ही जनार्दन है।

 

सत्य वचन,शील और संस्कृति यही है हमारी परंपरा,

सारे जहां में सबसे श्रेष्ठ है संविधान हमारा।

जहां है विचार स्वातंत्र्य,समता,बंधुता और अखंडता,

ऐसे देश में भला कैसे कुछ गैर कानूनी हो सकता है।

 

तोडो फोड़ों और सभी को अपने साथ-साथ जोड़ों,

सत्ता के लिए इतना तो हक यहां सभी का बनता है।

भले ही हो जाएं थोड़ी सी निंदा नालस्ती इस जहां में,

मगर जनता की भलाई के लिए इतना तो यहां करना पड़ता है।

 

सबकुछ होता है यहां खुलेआम और मिलता नहीं सबूत,

बिना सबूतों के सिवा तो यहां न्याय देवता भी अंधी है।

जब भी आते है चुनाव तब आती है जाति धर्मों की बात,

ऐसे देश में भाईचारा और बंधुता चुनाव के बाद ही दिखता है।

 

सत्ता पाने के लिए यहां सभी करते है साम दाम और दण्ड भेद,

फिर भी उसे गैर कानूनी कहां ठहराया जाता है।

किसी हालातों में मिली है ये आज़ादी,ये सब भूलें है यहां,

इसीलिए यहां गैर कानूनी को सही और सही को ग़लत कहा जाता है।

 

गैर कानूनी क्या है हमारे इस संस्कृति भरें देश में,

यही मैं हर दिन यहां पर पल-पल सोच रहा हूं।

जहां संविधान का ताज है इतना चमकता हुआ,

फिर भी इसी देश में हर तरफ मैं अंधेरा ही अंधेरा देख रहा हूं – – –

 

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