एक क्षण खोने जैसा नहीं, एक पल गंवाने जैसा नहीं.. | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©डॉ. एम एल परिहार
तथागत कहते हैं – “जीवन क्षणभंगुर है, अनित्य है.एक बुलबुले की तरह है, हवा का झोंका है. सभी को एक दिन यहां से जाना है यहां कोई चीज स्थायी नहीं है. नदी की धार है सब बह रहा है. जिसका जन्म हुआ है उसकी मृत्यु भी निश्चित है. आज हमारे पास जो धन, सम्पत्ति, पद, प्रतिष्ठा है कल नहीं भी हो सकते है. इस सत्य को जानो. ध्यान द्वारा इस संसार की अनित्यता का अनुभव करो.
“जीवन के हर पल को जी भर के जी लो. जीवन जा रहा है. जो सार्थक जीवन जीता है, सुख बांटते हुए जीता है वह सुख से मरेगा भी. सम्यक जीवन सम्यक मृत्यु को लाता है.
“समय, धन, ज्ञान, खुशी बांटने के लिए किसी खास दिन का इंतजार मत करो. हर दिन सुबह का सूरज उगता है और रोशनी फैलाता है. अंधेरे को मत कोसो अपने हिस्से का दीपक जलाते जाओ, अंधेरा मिटकर रहेगा.
तथागत बार बार कहते हैं, “मनुष्य जन्म दुर्लभ है.जीवन अनमोल है.एक पल खोने जैसा नहीं. एक क्षण गंवाना नहीं. मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दो.”
सबका मंगल हो.. सभी प्राणी सुखी हो …