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साथी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©उषा श्रीवास, वत्स

परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़.


 

गजल

 

मंजिल के आगे इरादे पक्का चाहती हूँ।

सफर में राही सूली पे लटके वो साथी चाहती हूँ।।

 

आशाओं का समंदर दिल का बिछौना चाहती हूँ।

इशां सदियों से दम भरता खिलौना वो चाहती हूँ।।

 

ख्वाबों का वो मुखड़ा सलोना चाहती हूँ।

पागल जो कर दे बादल वो आवारा चाहती हूँ।।

 

सच को गले लगाये वो शीशा चाहती हूँ।

खुद को अपने से मिलाये वो इल्जाम चाहती हूँ।।

 

बिखर के महके वो हवायें बहाना चाहती हूँ।

भावनाओं में बह जाये वो शरारत चाहती हूँ।।

 

हकीकत का इकतार शब्दों का पिरोना चाहती हूँ।

आँखों में सपने सुहाना बसाना चाहती हूँ।।

 

खो गया है वक्त का पहिया ढूंढना चाहती हूँ।

मिलें लम्हें तो शिकायत में जीना चाहती हूँ।।

 

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