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अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग को खनन मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट | ऑनलाइन बुलेटिन

नैनीताल | [कोर्ट बुलेटिन] | उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि एससी-एसटी (अनुसूचित जाति-जनजाति) आयोग को खनन के मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कार्यपालिका की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं। जेडी मिनरल्स के संचालक व हल्द्वानी निवासी राजेन्द्र सिंह दफोटी की ओर से दायर याचिका पर न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की पीठ में सुनवाई हुई।

 

याचिकाकर्ता की ओर से मामले को चुनौती देते हुए कहा गया कि पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तहसील के बजेता गांव में सोप स्टोन खनन के लिए उसने आवेदन के बाद शासन की ओर से 12 नवम्बर 2021 को उसके पक्ष में 50 साल के लिए लीज निष्पादित कर दी गई।इसके बावजूद पिथौरागढ़ जिला प्रशासन की ओर से उसे खनन की अनुमति नहीं दी जा रही है। इसके बाद अदालत ने पिथौरागढ़ के डीएम को अदालत में व्यक्तिगत रूप से तलब किया। डीएम डा. आशीष चौहान अदालत पेश हुए और कहा कि एक ग्रामीण की शिकायत पर एससी-एसटी आयोग में वाद लंबित है।

 

आयोग के आदेश के बाद खनन की अनुमति प्रदार कर दी जाएगी। अदालत ने इसे बेहद गंभीरता से लिया और महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा कि एससी-एसटी आयोग अधिनियम, 2003 के अनुसार आयोग को खनन मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है। साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को खनन कार्य से रोकने का आधार औचित्यहीन है। अदालत ने इसके साथ ही डीएम, पिथौरागढ़ को निर्देशित किया कि लीज शर्तों के अनुसार याचिकाकर्ता को खनन की अनुमति प्रदान करें।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- 2 वर्ष के भीतर दूसरा मातृत्व अवकाश देने से इनकार करना मनमाना एवं विधि विरुद्ध ilaahaabaad haeekort ne kaha- 2 varsh ke bheetar doosara maatrtv avakaash dene se inakaar karana manamaana evan vidhi viruddh
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