सील दो जबान मेरी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©देवप्रसाद पात्रे
मधुर ताल में बजने वाली तुम्हारी
ढोल का पोल कहीं न खोल दूँ।।
सील दो जबान मेरी
तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ।
बहुत हो गया तेरा नाच गाना।
अब चलेगा न तेरा कोई बहाना।।
देख फड़फड़ा रहे हैं लब मेरे,
कह रहे तेरे हर नब्ज को टटोल दूँ।।
सील दो जबान मेरी
तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ।
चलाके प्यार से एक तीर तूने
कई शेरों का शिकार किया है।
बड़े मनमोहक अंदाज से तूने,
खंजर सीने पे वार किया है।।
बताके बाजार में औकात,
तेरी असल कीमत बोल दूँ।
सील दो जबान मेरी
तुम्हारे खिलाफ कहीं न बोल दूँ।
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