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श्रावण मास गीत…

©राजेश श्रीवास्तव राज

परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.


 

डम डम बोल रहा है डमरू,

शिव के अंगना आज यहाँ।

 

सर्पों का श्रंगार किया है,

लगा भस्म राख निज अंग।

चंद्र भाल पर शोभामय है,

पीकर झूमते सभी भंग।।

औघड़ प्रेत भैरवी नाचे,लेकर ढोल मृदंग यहाँ।

डम डम बोल रहा है डमरू,शिव के अंगना आज यहाँ।।

 

शिवगण उनको चले सजाने,वहाँ रंगते अपने ढ़ंग।।

देव ऋषि सब चलते आगे,सब देवियां झूमती संग।।

सहज भाव में झूम रहे सब,नाचते गाते सभी यहाँ।

डम डम बोल रहा है डमरू,शिव के अंगना आज यहाँ।।

 

शिव गौरा को चले मनाने,जहाँ दूल्हा बने बेढ़ंग।

सारा जग भी झूम रहा है,अब ढप ढोल बजा सारंग।।

शिवगण बनकर चले बराती,शिव को बसाने आज यहाँ।

डम डम बोल रहा है डमरू,शिव के अंगना आज यहाँ।३।

 

मां गौरा की छवि को देखत,

माथे नवावत नर नारी।

वरमाला मैया पहनाती,लेती बलैया महतारी।।

पाणि ग्रहण संस्कार करातीं,मैना हिमालय साथ यहाँ।

डम डम बोल रहा है डमरू,शिव के अंगना आज यहाँ।४।

 

राजेश श्रीवास्तव

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