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विवाहित बेटी के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को मां का समर्थन नहीं मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | एक विवाहित बेटी के सरकारी सेवा में अपने पिता की मृत्यु के कारण अनुकंपा नियुक्ति के दावे को Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) ने मंगलवार को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि विधवा मां ने उसका नाम प्रायोजित नहीं किया था। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि मध्य प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति योजना के नियम 2.2 के अनुसार जीवित पति या पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति के लिए बच्चे को प्रायोजित करना होता है।

 

याचिकाकर्ता ने अप्रैल 2021 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें अनुकंपा नौकरी के लिए उसके आवेदन को खारिज कर दिया था। दरअसल, मां ने बेटी के बजाय अनुकंपा नौकरी के लिए अपने बेटे के आवेदन को प्रायोजित किया था।

 

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मां ने उसके आवेदन पर आपत्ति जताई क्योंकि उसने पारिवारिक संपत्तियों के बंटवारे की मांग के लिए एक मुकदमा दायर किया था। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने दिसंबर 2021 में कर्नाटक राज्य एंड अन्य बनाम सी.एन. अपूर्व श्री एंड अन्य मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र किया। इसमें कहा गया था कि अनुकंपा नियुक्ति के मामले में विवाहित बेटी और अविवाहित बेटी के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

 

न्यायमूर्ति रस्तोगी ने कहा, “यह ठीक है, लेकिन आपके मामले में नियम 2.2 समर्थन नहीं करता है। समस्या यह है कि नियम 2.2 अनुमति नहीं देता है क्योंकि इसके लिए उत्तरजीवी द्वारा उनके बेटे/बेटी को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए प्राधिकरण की आवश्यकता होती है।” पीठ ने नियम 2.2 को ध्यान में रखते हुए विशेष अनुमति याचिका कर दी।

 

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