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तथागत Buddha ने किसी पंथ, संप्रदाय की निंदा नहीं की. उनका मार्ग प्रेम, करुणा व मैत्री व कल्याण का मार्ग था…

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

Buddha : Tathagat Buddha did not condemn any sect. He did not consider futile debates as the path to search for truth. His path was of love, compassion and friendship. It was the way of human welfare.(Buddha)

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : तथागत बुद्ध ने किसी पंथ, संप्रदाय की निंदा नहीं की. निरर्थक विवाद करना वह सत्य की खोज का मार्ग नहीं मानते थे. उनका मार्ग प्रेम, करुणा व मैत्री का ही था. मानव कल्याण का मार्ग था.(Buddha)

 

भगवान बुद्ध का उपदेश देने का ढंग बहुत प्रभावशाली था. एक बार सुनने पर लोग सुनते ही जाते थे. उनके उपदेश बातचीत के रूप में होते थे जिनमें प्रकृति का बहुत सूक्ष्म व सुंदर दर्शन होता था. बीच बीच में बड़ी मार्मिक उपमाएं देते जाते थे जिससे श्रोता देशना से जुड़े रहते थे.

 

अपने विरोधी की दशा को अच्छी तरह समझते हुए वह उस उस बात तक पहुंच जाते थे, जिसे वह सिखाना चाहते थे और आखिर विरोधी भी धम्म को स्वीकार कर लेते थे.(Buddha)

 

उपदेश देते समय उनका चेहरा ओजस्व से दिव्यमान हो जाता था. उनका वर्ण सोने की तरह चमकता था और सिंह के समान उनकी आवाज (नाद) गंभीर होती थी .

 

शाक्यमुनि बुद्ध के समकालीन अलग अलग मान्यताओं के कई पंथ, संप्रदाय थे जिनके आचार्य भी बहुत धुरंधर विद्वान होते थे और अक्सर आपस में शास्त्रार्थ व वाद विवाद होता रहता था.(Buddha)

 

तथागत बुद्ध दूसरे मत मान्यता वालों के साथ बहुत उदार व सहानुभूति का व्यवहार करते थे. कभी टकराव नहीं करते थे. मगध देश में उरुवेला काश्यप जैसे आचार्य का बहुत सम्मान होता था. बुद्ध ने उनके मान सम्मान का पूरा ख्याल रखा. अपने अनुयायियों की संख्या बढ़ाने की ओर कभी जोर नहीं दिया.

 

सिंहसेनापति जब भगवान की देशना से प्रभावित होकर बुद्ध व धम्म की शरण में आए तो भगवान ने उनसे कहा कि उन्हें अपने पहले के आचार्यों की भी सेवा करनी चाहिए और पहले की तरह ही उनका दान सम्मान से सत्कार करना चाहिए. अलग अलग मान्यताओं से बुद्ध, धम्म व संघ की शरण आने वाले शिष्यों को भगवान ऐसे ही कहते थे.(Buddha)

 

तथागत बुद्ध का धम्म इसीलिए तेजी से फैला कि वह किसी मान्यता व संप्रदाय की निंदा नहीं करते थे और उन्हीं बातों पर जोर देते थे जिनसे मनुष्य का कल्याण हो, जीवन में सुख शांति हो. (Buddha)

 

 सबका मंगल हो… सभी प्राणी सुखी हो…सभी निरोगी हो

 

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

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