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समाज के ठेकेदारों ने मानवता को कर दिया शर्मसार : बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर पहुंचाया मुक्तिधाम, यहां जाने क्या है पूरा मामला | CG News

CG News : महासमुंद | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | You must have seen in films about village boycott. But this happens in reality too. In fact, an incident of shame to humanity has come to light from Mahasamund district of Chhattisgarh. In Saldbari village here, two daughters under compulsion carried their father’s bier to Muktidham and performed the last rites along with the only brother by lighting the funeral pyre. The surprising thing is that the whole village and relatives also kept watching the scene like spectators, but no one supported them. The compulsion is such that there is no food or water for them in the entire inhabited village.(CG News)

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : ग्राम बहिष्कार के बारे में आपने फिल्मों में देखा होगा है. लेकिन ऐसा हकीकत में भी होता है। दरअसल छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है. यहां के सालडबरी गांव में दो बेटियों ने मजबूरी में अपने पिता की अर्थी को कंधा देकर मुक्तिधाम पहुंचाया और इकलौते भाई के साथ मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार भी किया. हैरानी की बात यह है कि पूरा गांव और रिश्तेदार भी तमाशबीन बनकर मंजर को देखते रहें पर किसी ने साथ नहीं दिया. मजबूरी ऐसी की पूरे भरे बसे गांव में इनके लिए दाना पानी भी नहीं है.(CG News)

 

तस्वीर में दिख रही ये दोनों विवाहित महिलाएं सगी बहने हैं और मायके आकर पिता की अर्थी उठाकर मुक्तिधाम जा रही है. इन दोनों बहनों ने अपने भाई के साथ अपने पिता का अंतिम संस्कार भी किया. यह पूरा मामला महासमुंद जिले में बागबाहरा ब्लाक के ग्राम सालडबरी का है. पिछले साल अक्टूबर माह मे एक धार्मिक आयोजन के दौरान ग्राम के पटेल 75 वर्षीय हिरण साहू और उनके परिजनों का गांव मे दबंगों से विवाद हो गया. जिसके चलते उन्हे तत्काल जुर्माना नहीं भरने पर ग्राम बहिष्कार की सजा दे दी गई. गांव से बहिष्कृत होने के बाद उनका जीवन नरक बन गया. ये दुखद घटना की जानकारी मृतक के बेटे तामेश्वर साहू ने दी.(CG News)

 

बहिष्कृत मृतक की पत्नी बीना साहू की पीड़ा बहुत गहरी है. लगभग 3 एकड़ की खेती में गरीबी से परिवार चलाने वाली इस बहिष्कृत महिला का कहना है कि जब पति के मृत्यु के बाद कोई भी वाला नहीं आया तब दूसरे गांवों से बेटियों को बुलाकर अर्थी को मुक्तिधाम पहुंचाया गया. सालडबरी गांव के ग्रामीण इस मामले में मीडिया के सामने बोलने को तैयार नहीं हुए. लेकिन काफी प्रयास के बाद बहिष्कृत परिवार के पड़ोसी और रिश्तेदार का कहना है कि ग्राम वासियों ने बहिष्कार नहीं किया है .(CG News)

 

 

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