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थिएटर कलाकार | ऑनलाइन बुलेटिन

©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़

परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.


 

 

हर चेहरे में एक कलाकार नज़र आया,

किसी को मिला रंगमंच, कोई गुमनाम पाया।

एक अजीब सी है कशिश ऐ थियेटर कलाकार तुझमें,

यूँही तो नहीं शेक्सपियर  जैसा रहनुमा पाया।

 

कोई डमरू पे नाचता है तो कोई नचाता है,

ये रंगमंच है प्यारे दर्द आँखों से छलक आता है,

मर जाता है जोकर बन किसी को हँसाते-हँसाते,

यूँही तो नहीं दुनिया कहती, बड़ा मज़ा आता है।

 

सुर भी ताल भी, हर ख़ूबी इसकी बेमिसाल भी,

हक़ीक़त से रूबरू, हर शै इसकी कमाल भी,

न जाने कितने कलाकर हुए जन्म इस मंच से,

आज भी एक अदाकारी मचाती है धमाल भी।

 

ख़्वाबों के मोतियों की माला पिरोकर रखता है,

अधूरी किताब के पन्ने को मोड़ कर रखता है।

दर्शक के दिल पे छोड़ जाता है अक्सर एक छाप,

थिएटर हर एक कलाकार को जोड़ कर रखता है,


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