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जिंदगी का रास्ता….

©गायकवाड विलास

परिचय- मिलिंद महाविद्यालय, लातूर, महाराष्ट्र


 

उस जिंदगी से क्या पूछ रहे हो तुम,

हाथों के लकीरों में ये क्या देख रहे हो तुम?

ये जिंदगी है,हरपल कई मुसीबतों से भरी,

उसी मुसीबतों से लड़कर ही तुम्हें यहां जीतना है।

 

मत पूछो इस ज़माने से हल उसी मुसीबतों का,

अब कौन इस जमाने में औरों की भलाई सोचता है।

अपना भी यहां रहा नहीं अपना इस ज़माने में,

इसीलिए वो अच्छाई का रास्ता तुम्हें यहां ख़ुदको ही ढूंढना है।

 

सदियों पहले की वो बात कुछ और थी,

हर आंगन में वहां अपनेपन की महक थी।

बीत गया वो ज़माना और बदल गया सबकुछ यहां पर,

ऐसे बदले हुए जमाने में सब है एक-दूसरे से बेखबर।

 

आज के इस जमाने में कोई देता नहीं किसी को सहारा,

तुम्हें ख़ुद ही ढूंढना है अपने मंजिल का किनारा।

ये जिंदगी लेती है इम्तिहान और ज़माना है वो नया,

ऐसे ज़माने में सिर्फ तेरा है खुदका वो अपना साया।

 

उस जिंदगी से क्या पूछ रहे हो तुम,

हाथों के लकीरों में ये क्या देख रहे हो तुम?

चलें गए वो दिन और ढह गई वो इन्सानियत की दीवारें,

इसीलिए इस ज़माने से तू जिंदगी का रास्ता पूछ मत प्यारे – – – पूछ मत प्यारे।

 

गायकवाड विलास

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