हाँ ! मैं आज का इंसान हूँ | ऑनलाइन बुलेटिन
©दिनेश अणखिया
परिचय– साँचोर, राजस्थान
गैरों को अपना मानता हूँ
अपनों को पराया मानता हूँ
पैसों से दुनिया को जानता हूँ
हाँ ! मैं आज का इंसान हूँ।
मैं झूठे वादे करता हूँ
मैं स्वार्थ के लिए लड़ता हूं
मैं हर बार मतलब की बात करता हूँ
हाँ ! मैं आज का इंसान हूँ।
मैं दुनियादारी जानता हूँ
रिश्वत को फायदा मानता हूँ
मैं हर तरफ मुनाफ़ा चाहता हूँ
हाँ ! मैं आज का इंसान हूँ।
मैं हर मुसीबत झेलता हूँ
मैं लोगों की भावनाओं से खेलता हूँ
फिर भी मतलब की बात करता हूँ
हाँ ! मैं आज का इंसान हूँ।