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मजदूर हैं हम | ऑनलाइन बुलेटिन

©रामभरोस टोण्डे

परिचय– बिलासपुर, छत्तीसगढ़.


 

 

अमीरी में अक्सर अमीर ,

अपने सुकून खो देता है।

मजदूर खा के सूखी रोटी ,

बड़े आराम से सोता है।

 

मैं मजदूर हूँ ,

मुझे शर्म नहीं ।

अपने पसीने की खाता हूँ ,

मैं मिट्टी को सोना बनाता हूँ।

 

दिन भर मेहनत से,

ईमानदारी के बीज बोता है।

मजदूर इसलिए रात में,

सुकून से सोता है।

 

मजदूर राष्ट्र निर्माण के,

आधार स्तम्भ होते हैं।

मजदूर को सलाम ,

आज के दिन उनके नाम।


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