योग ! yog !
©रामकेश एम यादव
परिचय– मुंबई, महाराष्ट्र.
खिला -खिला रहता है जीवन,
जो भी योग अपनाता।
छिपी हैं योग में अनंत शक्तियाँ,
पर विरला इसे जगाता।
प्राणायाम के माध्यम से हम,
अपना विश्वास बढ़ाएँ ।
अनुलोम-विलोम, कपालभाती से,
जीवन दीर्घायु बनाएँ।
चुस्ती-फुर्ती रहती दिनभर,
मन प्रसन्न भी रहता।
बुद्धि-विवेक बढ़ता है निशिदिन,
अवसाद नहीं फिर टिकता।
फूलता-पचकता नहीं पेट तब,
कहीं विकार नजर न आता।
वैद्य-हकीम की क्या जरुरत,
चार-चाँद लग जाता।
अब बदलो सूरत जहां -देश की,
ये अनमोल है थाती।
जिसके संग में योग रहेगा,
मस्त जलेगी जीवन -बाती।
yoga
Ramkesh M Yadav
Life keeps on feeding,
Anyone who practices yoga.
There are infinite powers hidden in yoga,
But rarely wakes it up.
Through Pranayama,
Increase your confidence.
Anulom-Vilom, from Kapalbhati,
Make life long
Staying agile throughout the day,
The mind remains happy.
Wisdom-discretion increases Nishidin,
Depression doesn’t last.
When the stomach does not swell,
No disorder can be seen anywhere.
What is the need of a physician
It would take four moons.
Now change the face of the country,
This is priceless.
With whom there will be yoga,
Mast will burn life-baat.