पेट्रोलियम की क़ीमत पर दैनिक जीवन का प्रभाव | ऑनलाइन बुलेटिन
©नीलोफ़र फ़ारूक़ी तौसीफ़
परिचय– मुंबई, आईटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर.
पेट्रोल की क़ीमत दिन-प्रतिदिन आसमाँ छू रही है। बात सिर्फ़ इतनी नहीं कि पेट्रोल की क़ीमत बढ़ी, इसका सीधा असर खान-पान के साथ पूरी अर्थ व्यवस्था पर पड़ रहा है। इतनी मेहनत के उपरांत जहाँ दो जून की रोटी खाना मुश्किल है वहाँ ये महँगाई कमर तोड़ने का काम रही है।
गाड़ी चालक हो, निजी वाहन या फिर माल गाड़ी सब पेट्रोल पे आश्रित हो चुके हैं। हमें कोई ऐसा साधन ढूंढना होगा जो इनसे कुछ अलग हो। पेट्रोल भी हर दिन नई बनाई जा सकती, जिस प्रकार इसका उपयोग हो रहा है एक दिन जब ख़त्म हो जाएगी तो क्या ये दुनिया यूँही सिमट कर रह जायेगी। नहीं, हमें इसका कोई दूसरा उपाय निकालना होगा।
यहाँ बात ग़रीब या अमीर की नहीं एक अर्थव्यवस्था की है जिसे सिर्फ़ पेट्रोल के नाम पे वसूला जा रहा है। इंसान आख़िर क्या करे ? एक रुपया पेट्रोल की क़ीमत का असर अनाज, कपड़ा, जीवन यापन कर साधन सभी को अपने पंजों में जकड़ लेती है। इस प्रभाव से बचने का उपाय सभी को मिलकर ढूंढना होगा वरना आने वाली पीढ़ी के लिए हम कोई शुभ सन्देश नहीं दे पायेंगे।