जय भीम | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़.
भारतवर्ष के विधि विधाता,
वंचित अछूतों की जीत हो।
घोर तिमिर में सूरज सदृश,
बाबा ज्ञान का प्रतीक हो।।
नयनों से बरस रहे थे आंसू,
छाया था छुआछूत के बादल।
पानी के लिए तरस रहे थे जन,
बेबस हृदय होता था घायल।।
देवालयों में पदार्पण वर्जित था,
धर्मांधता ने किया था भेदभाव।
इतना निष्ठुर नहीं है परमात्मा,
अपने संतान को रखे अभाव।।
जन्म लिया भिवा महानायक,
बदलने लोगों की सोच रीति।
लिख दिया संविधान भारत का,
समानता, स्वतंत्रता की कृति।।
गूंज उठा जय भीम चहुंओर,
भारत रत्न बाबासाहब महान।
युगों-युगों तक उपकारी रहेंगे,
दलित, पिछड़ा इंसान।।