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आने वाली पीढ़ी को प्रकृति व पर्यावरण से जोड़ना होगा – किरण घई | Onlinebulletin

पटना | Onlinebulletin.in | दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, विशाखापट्टनम, तिरुवनंतपुरम, भुवनेश्वर, बुंदेलखंड व सूरत के बाद के बाद गत दिनों राष्ट्रीय स्तर पर लेखकों के प्रथम साझा मंच राइटर्स एंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन (वाजा इंडिया) महिला इकाई बिहार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित आने वाली पीढ़ी के नव निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर पटना में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।

 

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पटना विश्वविद्यालय सीनेट की सदस्य किरण घई ने कहा कि इन दोनों संस्थाओं ने इस तरह की परिचर्चा आयोजित की, जो हमारी चिंताओं से जुड़ी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि नव निर्माण की दिशा में हम कहीं चूक रहे हैं, आज तीसरी कक्षा का बच्चा यदि आत्महत्या करता है तो यह हमारी चिंता का विषय है, बढ़ते नशे की लत चिंता का विषय है, भाषा की मर्यादा चिंता का विषय है, व्यवहार की मर्यादा चिंता का विषय है।

 

उन्होंने आगे कहा कि हमें लड़का और लड़की दोनों को शालीनता सिखानी होगी। बच्चों के हर व्यवहार की आलोचना करना हमें बंद करना पड़ेगा। समय बदल रहा है, इस बदलते परिवेश में बच्चों के मित्र कैसे हैं, कहां आता जाता है, यह हमें समझना होगा! भारत सबसे युवा देश है, हमें अपने बच्चों को पर्यावरण का महत्व समझाना होगा और अगली पीढ़ी के लिए खुला आकाश, निर्मल हवा, स्वच्छ जल छोड़ कर जाना होगा।

 

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा. अनिल सुलभ ने कहा कि समाज की पहली शिक्षिका मां है और पिछली शताब्दी में मातृशक्ति की घोर उपेक्षा हुई है। आने वाली पीढ़ी को सही रास्ते पर लाने के लिए हमें अपनी मातृ शक्ति का जागरण करना पड़ेगा।

 

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. उषा झा ने कहा कि अथर्ववेद में कहा गया है कि माता भूमि यानी मां धरती है और हम धरा के पुत्र हैं। बच्चों में सकारात्मकता की भावना भरने में मां का बहुत बड़ा योगदान होता है।

 

कार्यक्रम की आमंत्रित वक्ता उच्च विद्यालय में शिक्षिका अभिलाषा ने कहा कि बच्चे में अवगुण न्यूनतम हो इस बात का ध्यान सिर्फ एक मां ही रख सकती है। लेखिका संजू शरण ने कहा कि हमें बच्चों को शिक्षा देने से पहले अपना आचरण सही करना होगा। इसी तरह समाजसेविका राजलक्ष्मी ने कहा कि महिलाओं को इस तरह की परिचर्चा के माध्यम से एक मंच पर लाने के लिए मैं बहुत-बहुत बधाई देती हूं, इस तरह के कार्यक्रमों की निरंतर आवश्यकता है।

 

अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान वाजा महिला इकाई बिहार की प्रदेश अध्यक्ष प्रो. भूपेंद्र कलसी ने कहा कि औरत का जीवन खेल नहीं, सूरज बनकर निकलना पड़ता है। उन्होंने सभी वक्ताओं के वक्तव्य की सराहना करते हुए कि ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता बताई तथा कहा कि आने वाली पीढ़ी का सही निर्माण तभी हो सकता है जब उन्हें जीवन मूल्यों के आधार पर शिक्षा दी जाए। इस कार्यक्रम का सफल संचालन वाजा इंडिया महिला इकाई की बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष माधुरी भट्ट ने किया।


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