जीव जन्तु बेहाल | ऑनलाइन बुलेटिन
©डॉ. सत्यवान सौरभ
परिचय- हिसार, हरियाणा.
भूख प्यास से तड़पते, वन्य जीव लाचार।
भोजन पानी दीजिए, बाँटें अपना प्यार।।
वन्य जीव जल खोजते, आ पहुँचे अब गाँव।
पानी पीने का नहीं, ना रहने को छाँव।।
वन्य जीव डरे हुए, भविष्य नहीं उजियार।
वन्य जन्तु से कीजिए, अपना सद् व्यवहार।।
जीव जन्तु होकर विकल, मरते हैं लाचार।
दाना पानी दीजिए, करिए कुछ उपचार।।
कटते जंगल से हुए, जीव जन्तु बेहाल।
ताल -तलैया सूखते, धूप पसारे जाल।।
पराधीन बेबस हुए, आंखों में है नीर।
भूख प्यास से तड़पते, पीड़ा है गम्भीर।।
जल की महिमा है बड़ी, जल से बेड़ा पार।
जल के कारण जगत में, जीव-जन्तु संसार।।
वृक्ष बड़े अनमोल हैं, ये धरती – श्रृंगार।
जीव जन्तु का आसरा, जीवन का आधार।।
वन्य जन्तु से कीजिए, अपना सद् व्यवहार।
कुदरत से खिलवाड़ कर, पाते कष्ट अपार।।
जीव-जन्तु मिलकर रहें, मिलकर रहिये मीत।
फूल खिलेंगे नेह के, हो गर सच्ची प्रीत।।
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