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नकाब़ | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©उषा श्रीवास, वत्स

परिचय- बिलासपुर, छत्तीसगढ़.


 

रक्त वर्षों से नसों में खौलने लगा है,

आप कहते हैं धीरे-धीरे मौसम बदलने लगा है।

 

मत कहो आसपास कोहरा घना है,

टूटा हुआ रथ आज फिर चलने लगा है।

 

मैं फ़रिश्ता हूँ सच बताता हूँ,

हर आदमी चेहरे पर अब नाकाब़ पहनने लगा है।

 

यह फ़लसफा न कोई सीधा-सा एक सच है,

आदमी कुछ और मंसूबे कुछ और रखने लगा है।

 

अब तो इस तालाब का पानी बदल दो,

बेकाय़दे अब क़ायदे-कानून परखने लगा है।

 

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