यही सबकुछ जानकर भी…
©गायकवाड विलास
वाणी में मिठास,नीतियां कुछ और है,
यही इस ज़माने का नया अंदाज है ।
बदले हुए इस जहां में देखो तुम ,
परदे के पीछे वो कौन लोग है ?
शान्ति का पैगाम उन्हें पसंद नहीं,
बदल जाएं जमाना वो चाहते नहीं।
वो ही फैलाते हैं दिलों में नफरतें,
परदे के पीछे वो कौन लोग है ?
सभी को मिले यहां मान सन्मान,
ऊंच-नीच नहीं है वो कोई इन्सान।
इसी विचारधाराओं को बदलनेवाले,
परदे के पीछे वो कौन लोग है ?
विकृत मानसिकता के जो है पुजारी,
जिन्हें आज भी चाहिए वो गुलामगिरी।
संविधान की चोट से घायल हुए जो,
परदे के पीछे वो कौन लोग है ?
न्याय,समता और बंधुता जिन्हें नहीं भांति।
जिन्हें हंसती हुई भूमि देखी नहीं जाती।
वो ही फैलाते है अराजकता इस संसार में,
परदे के पीछे वो कौन लोग हैं ?
अब तो समझ जाओ मेरे देशवासियों,
कुछ मुट्ठीभर लोगों की है ये नीयत।
उन्हीं के सीने में लगी है आग आज भी यहां पर,
परदे के पीछे वो कौन लोग है – -यही सबकुछ जानकर भी ये जमाना चुप क्युं है ?
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