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शिक्षा ज्योति मां सावित्रीबाई फुले | Newsforum

©प्रीति बौद्ध, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश


 

 

करते थे वामाचारी,

पाशविक सा बर्ताव ।

मानव- मानव में भेद देख ,

लोमहर्षक हुए ज्योतिबाराव।।

 

मूल निवासियों संग,

जो हो रहा दुर्व्यवहार ।

अभीप्सा उत्कंठित हुई,

न मानी फिर कभी हार ।।

 

शिक्षित कर सावित्री को,

शिक्षक बना बढ़ाया आगे ।

बेटियां जब बनेगी विदुषी ,

जीवन से अंधकार तब भागे।।

 

अंकशायनी दे रही देखो शिक्षा की धार,

पढ़ लिख सब करेंगे अपनी व्याधि पर वार ।

मां सावित्री संग जव आई फातिमा शेख,

हुए नौ दो ग्यारह वामाचारी शिक्षा देख  ।।

 

तुम्हें नमन, फातिमा सावित्रीबाई फुले,

शिक्षा जनक ज्योतिबा को नहीं भूलें ।

हैं जगत् गुरु करते हम नमन ,

लाचार जीवन में खिला शिक्षा का चमन ।।


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