.

ऐ मालिक; इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है | Newsforum

©डॉ. कान्ति लाल यादव, सहायक आचार्य, उदयपुर, राजस्थान 

परिचय : शिक्षा– एमए, नेट, पीएचडी, बीईडी, एलएलबी, डीएलएल, बीजेएमसी, भागीदारी– 9 अंतर्राष्ट्रीय एवं 30 राष्ट्रीय संगोष्ठी में पत्र वाचन, शोध लेखन -35 शोधलेख, आलेख, कविताएँ, कहानियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित, दो काव्य संग्रह, एक कहानी संग्रह तथा 4 अन्य पुस्तकें प्रकाशनरत, सम्मान– 4 राष्ट्रीय एवं 8 अन्य सम्मान प्राप्त।

 


 

समय कितना खराब हो गया है?

वक़्त कितना बदल गया है?

बदले-बदले से हालात को देखकर जीवन एक तमाशा हो गया है।

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है?

कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा।

सांसों का भी यहां कत्ल होगा।

फिजा में आज जहर घुला है।

दुनिया में कितना हा-हाकार मचा है।

हर इंसान आज कितना बेबस और लाचार हुआ है?

कल तक थे जो खयालात आज बदले-बदले क्यों है?

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है?

जिसने कितनी सुंदर दुनिया बनाई है।

वो ही आज इतना नाराज क्यों है?

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है

तू ही एक सहारा था वही आज कहां खो हो गया है।

जो अजीज थे हमारे वे पराए हो गए।

हम कुछ भी नहीं कर सके सिर्फ देखते ही रह गए।

क्या यही कयामत है?

कल तक जो जितना सस्ता था।

वही आज इतना महंगा क्यों है?

ए मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है?

उजड़ती जा रही है बस्ती तेरी।

मौतें आज इतनी सस्ती क्यों है?

एक घर को घर बनाने में कितनी पीढ़ियां खप जाती है।

खुदा आज इन पर तरस क्यों नहीं खाता?

जिंदगियां मिटाने-बचाने में।

हर कोई तेरी दुनिया में हंसना-जीना चाहता है।

तेरी बगिया को तू ही क्यों लूटना चाहता है?

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है?

विश्वास पर दुनिया कायम थी पर,आज उसी को जलाकर खाक करता क्यों है?

तू ही खुशियों के महका देता है फूल।

डर का आज इतना खोफ क्यों है?

जो आता है वह जरूर जाता है।

बेमौत बगिया लूटता क्यों है?  भांति-भाती के फूल यहां। खुशबू की सौगात यहां।

पर एक साथ बुलाने का तेरा इरादा क्या है?

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर उस पर इतनी मार क्यों है?

जिंदगी के सफर को कोई पहचाना नहीं,

फिर भी जिंदगी से कितना प्यार है जिसका कोई ठिकाना नहीं।

मौत के रास्ते भी अनेक हैं।

अब ये रास्ते इतने सस्ते क्यों है?

हिम्मत ही जीने का अब सहारा है।

पर किस्मत के दरवाजे पर पहरा क्यों है?

इस भयानक मंजर का अंत भी जरुर होगा।

पर हर इंसान का अरमान बेगाना क्यों है?

ऐ मालिक इंसान पर रहम कर,उस पर इतनी मार क्यों है?

 

 


Back to top button