नारी शक्ति है | ऑनलाइन बुलेटिन
©अशोक कुमार यादव
परिचय– मुंगेली, छत्तीसगढ़
कोमल और शक्तिशाली भी हो,
नारी तुम हो सृष्टि की अवतारी।
घोर तिमिर में दिव्य प्रकाशमयी,
त्रिदेव सावकों के तुम महतारी।।
श्रद्धा और भक्ति के प्रतिरूप,
त्याग और समर्पण की देवी।
रूप रंग सौंदर्य की अधिष्ठात्री,
निश्छल प्रीति पतिव्रता सेवी।।
देवी अन्नपूर्णा और लक्ष्मी स्वरूपा,
कुटुंबियों की करती उदर पोषण।
सरल स्वभाव माधुर्य भाव लिए,
नीरवता से सहन करती शोषण।।
अब बन जाओ महारानी लक्ष्मी बाई,
अंग्रेज रूपी ससुराल की करो दमन।
प्राणेश हिटलर को करो सम्मोहित,
तब होगी तुम्हारी जीवन में अमन।।
सीखना होगा तूम्हें युद्ध कौशल को,
जीवन भर होती रहोगी प्रताड़ित।
साहस से हुंकार भरो आततायी को,
अंगों में प्रवाह करो चालक तड़ित।।
निराशा छोड़ तुम आशा बन जाओ,
गंगा की शीतल निर्मल धारा समान।
मन की निर्बलता को दूर भगाओ,
तुम्हें पाना ही होगा वापस सम्मान।।
बन सैनिक रण में जुझने के लिए,
शांति पताका हाथ में लिए चल तू।
मत कर हमला पहले धीरज रख,
उष्ण और आर्द्र परिवेश में ढ़ल तू।।
तू साध्वी है पवित्र मन से तन से,
ईश्वर की पूजा से मिलेगा वरदान।
जो तुम्हें समझते हैं निरीह प्राणी,
एक दिन वक्त जवाब देगा इंसान।।
युग बदलेगा बदलेंगे लोगों की सोच,
वक्त सबका आता है आएगा तुम्हारी।
तब तक वनिता रण की करो उपक्रम,
जीत-जीत सोचो मत बैठो मन हारी।।
अंधेरी रात में निकलोगी बनके बेगम,
डर से थर-थर कांप भागेंगे दुष्कर्मी।
संहार करने तैयार रखना कृपाण को,
सर्वत्र तितर-बितर हो जाएंगे अधर्मी।।