और मुस्कुराती है ये ज़मीं…
©गायकवाड विलास
परिचय- मिलिंद महाविद्यालय लातूर, महाराष्ट्र
रोशन हुआ है ये आसमां चांद सितारों से,
और महकती है ये ज़मीं खिलती कलियों से।
चांद और तारे भी इस जिंदगी का इक सहारा है,
सुख-दुखों के पलों में जैसे कोई आशाओं का किनारा है।
जब-जब हम हुए उदास,चांद तारों में खोएं है,
गमगीन जिंदगी में भी कुछ पल सुखों के हमने जिएं है।
खिलती कलियों को ऐसे ही खिलने दो चमन में,
उन्हीं के खिलने से ही इस संसार में नई बहारें आती है।
धरती और आसमां से ही ये सारी सृष्टि सुन्दर बनी है,
दोनों के छत्रछाया में ही,इस संसार की कहानी बनी है।
ममता की गोद,धरती की कोख यही सृष्टि का उगम है,
करो इस धरती की रक्षा,उसीपर ये सारा संसार कायम है।
रोशन हुआ है ये आसमां चांद सितारों से,
और मुस्कुराती है ये ज़मीं खिलती कलियों से –
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