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एक माँ ऐसी भी होती है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©ममता आंबेडकर

परिचय- गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

घुंगरू की जंजीर में क्यों बंधी होती है

ज़माने की जेल में उसे तबायफ

रहने की सजा क्यों मिली होती है !

 

दिल उसका खून के आंसु रोता है

आँखो का सागर जैसे सूख सा गया हों

 

अपने बच्चे को स्कूल भेजकर नए नए

सपने अपने दिल में संजोरही होती है !

एक माँ ……..

 

समाज के ठेकेदारों ने ऐसे कर दिया बेबस

एक मजबूर मां को वैश्य करार  कर दिया

 

अपने बच्चे को ख़ुशीया देने  के वास्ते

हर जुल्मो – सितम सह रही होती है!

 

तू कल जब बड़ा हो जायेगा

अपनी मंजिल अपना मुकाम पायेगा

 

तू कही उस माँ को छोड़ न दे

इस डर से मेरी कलम उस मां के दर्द को महसूस करती हैं और इसके आगे क्या लिखूं !

एक माँ …….

 

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