अंतरिक्ष में गूंज उठे हम नए इतिहास रचने को…..!
संकल्नकर्ता:- अर्जुन खुदशाह
परिचय:- बिलासपुर छत्तीसगढ़
अंतरिक्ष में गूंज उठे
हम चंद्रयान का गान लिए चाँद तिरंगे रंग में
रंगा नयी एक पहचान लिए
मेरे भारत के वैज्ञानिक तुम गौरव हो
भारत का ऊँचा माथा लिए खड़े हम सच्चा एक अभिमान लिए।
सपना टूटा था हौसला नहीं,
गिरा था मरा नहीं,
ऐ चांद आ गया मैं फिर से,
अपने सपने लेकर,
एक नया विक्रम एक नया रोवर ।
चन्द्रयान की टीम ने देखो कैसा अद्भुत काम किया युगों युगों से सूत कातती अम्मा को आराम दिया
यही चाँद माँगा करता था मोटा एक झिंगोला इसी चाँद का मुँह टेढ़ा था यही था वो अलबेला
अब मय्या से ज़िद ना करेंगे बाल कृष्ण मुसकाएँगे चन्द्र खिलौना हाथ में ले कर लीला नयी रचाएँगे
और हम भी अब पास से जा कर देखेंगे बस घूर के और ना कहेंगे चन्दा को हम चन्दा
मामा दूर के…..।।
हमें यकीन है, कि इस बार हम चांद पर तिरंगा लहरा कर आयेंगे….!
जय हिंद जय भारत….!