इंसानियत के दुश्मन | Newsforum
©द्रौपदी साहू (शिक्षिका), कोरबा, छत्तीसगढ़
परिचय- गाइडर जय भारत इंग्लिश मीडियम हाई स्कूल, जिला-कोरबा, जिला उपाध्यक्ष अखिल भारतीय हिंदी महासभा.
जीवन मिला अनमोल, सब पर स्नेह बरसाओ।
इंसानियत के दुश्मन बन, किसी को न तड़पाओ।।
चौरासी लाख योनि के बाद, मिला अनमोल मानुष तन।
सत्कर्म करो, सद्भाव रखो, न बनो इंसानियत के दुश्मन।।
बेसहारे, भूखे-प्यासे को देख, आये दया का भाव नहीं।
वही इंसानियत के दुश्मन, हृदय में जिसके प्यार नहीं।।
मन वचन और कर्म से, भला सभी का करना हरदम।
इंसानियत के दुश्मन बन, दुख न देना भारी भरकम।।
दीन-हीन भिखारी की, करते जो उपहास।
इंसानियत के दुश्मन वे, दु:ख बढ़ाने करते प्रयास।।
खुद में हावी होने न देना, इंसानियत के दुश्मन को।
वरना एक दिन पछताओगे, पाने वही इंसानियत को।।
इंसान बनकर देखो ज़रा, कितना सुकून मिलता है।
इंसानियत के दुश्मन को, दुआ कभी न मिलता है।।