आर्टिकल 16(4)क अर्थात पदोन्नति में आरक्षण बचाने की है हम सब की जिम्मेदारी-विनोद कुमार | ऑनलाइन बुलेटिन
©विनोद कुमार कोशले, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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भारत के संविधान में वर्णित मुलभुत अधिकार खंड 3 आर्टिकल 16(4) क, जो अनुसूचित जाति, जनजाति वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने की शक्ति प्रदान करती है। अब पदोन्नति में आरक्षण को बचाने निर्णयाक घड़ी आ गई है।
हम SC, ST वर्ग छत्तीसगढ़ राज्य में बहुसंख्यक होने का दावा करते है, यह दावा केवल बस बातों में नही होना चाहिए। जहां पर मजबूती से खड़े होने या लड़ने की दरकार हो, वहां पर अब चुप्पी साध लेना बेमानी होगी।
तकनीकी पहलू
2013 से अपर कास्ट के अधिकारी-कर्मचारियों ने छत्तीसगढ़ पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के नियम 5 SC, ST आरक्षण रोस्टर नियम को चुनौती देते आ रहे हैं।
दिनांक 04.02.2019 मा.उच्च न्यायालय बिलासपुर ने छ.ग. पदोन्नति में आरक्षण नियम 5 को अपास्त कर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय एम. नागराज व जरनैल सिंह निर्णय का पालन करते हुए नए नियम बनाने की स्वतंत्रा दी।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के शर्तों को पूरा किये बगैर 22/10/2019 को नियम 5 SC, ST आरक्षण रोस्टर को प्रतिस्थापित किया। 30 अक्टूबर 2019 को पदोन्नति में आरक्षण देने सर्कुलर जारी किया।
एक सप्ताह बाद कोर्ट में सवर्णों ने पुनः याचिका दायर की। दिनांक 29/11/2019 व 09/12/2019 को कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पदोन्नति में आरक्षण संशोधित नियम 2019 के नियम 5 को पुनः अपास्त कर दिया।
सर्वणों ने कोर्ट से प्रार्थना किया कि शासन सुप्रीम कोर्ट के शर्त के पालन किए बगैर नियम बना दिया। हमें पदोन्नति प्रदान करने रिलीफ़ दिया जाए। कोर्ट ने दिनांक 08/01/2020 को कहा कि हमने केवल SC, ST रोस्टर बिंदु पर रोक लगाया है। रेगुलर प्रमोशन नियमानुसार करने से मना नहीं किया है।
तब से लगातार रेगुलर प्रमोशन के नाम पर वरिष्ठता के आधार पर ढर्रे में पदोन्नति जारी है। जिससे SC, ST वर्ग को काफी नुकसान है।
हम सब SC, ST प्रबुद्धजनों के प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट के शर्तानुसार क्वांटिफायबल डेटा कमेटी गठित हुई। कमेटी ने SC, ST वर्ग की अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को साबित करते हुए SC वर्ग की 48% पद व ST वर्ग की 52% पद रिक्त होने की अनुशंसा की। साथ ही प्रशासनिक कार्यक्षमता प्रभावित नहीं होने की सिफारिश भी कमेटी ने की।
भूपेश केबीनेट की बैठक में मंत्रिमंडल ने क्वांटिफायबल डेटा कमेटी की रिपोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण देने की अनुशंसा कर सामान्य प्रशासन विभाग को न्यायालय में रिपोर्ट सबमिट करने व उचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया।
क़ानूनी पहलुओं के आधार पर पदोन्नत्ति में आरक्षण के तकनीकी दिक्कतों को दूर किया जा चुका है। मा.उच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार है। 11 जनवरी 2022 को सुनवाई है।
पदोन्नति में आरक्षण रोक से भृत्य से लेकर एडीशनल कलेक्टर व एडिशनल एसपी तक प्रभावित है। छोटे कर्मचारी शुरू से मोर्चा संभाले हुए है लेकिन क्लास-2 व क्लास 1 वर्ग के अधिकारी इस मुहिम में कम ही साथ दिखते हैं।
क्लास-2 व क्लास 1 को सामने आने में कई व्यवहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन यह वर्ग अन्य तरीके से भी मोर्चा का हिस्सा बन सकता है।
आरक्षण विरोधी वर्ग धनबल में हमसे कहीं ज्यादा मजबूत है। शासन-प्रशासन में भी हमसे मजबूत स्थिति में है लेकिन हमारे पास जनबल है। हमारे विरोधी वर्ग भी दबे स्वर में हमारे विरुद्ध षड़यंत्र कर रहे होंगे। अब हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि पदोन्नति में आरक्षण केस को किस तरह फेस करें।
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में उच्च न्यायालय के शर्तों के अनुरूप डेटा एकत्र कर एवं मंत्रिमंडल में अनुशंसित कर कोर्ट में जवाब दावा फाइल कर दिया है।
हमारी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।
आगामी 14 फरवरी 2022को WPS 9778/2019 विष्णु प्रसन्ना तिवारी वर्सेस स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़ व WP(PIL)91/2019 को कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। सुनवाई फाइनल भी हो सकती है। यह सुनवाई हमारे लिए एक नई दिशा तय करेगी।
हमारे स्टेट में कार्यरत SC, ST वर्ग क्लास 1 व क्लास 2 ऑफिसर भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाए। क्लास 3 वर्ग की कर्मचारियों की संख्या काफी है। वे भी प्रमुखता से साथ देने आगे आए। अब यह लड़ाई किसी संगठन विशेष की न होकर पूरे 45% SC, ST वर्ग की है। इस केस से लगभग 1 करोड़ 45 लाख जनसंख्या प्रभावित होंगी। इसे हल्के में बिल्कुल न ले। यदि हमारे समाज के अधिकारी वर्ग चाहे तो आपस में ही बातचीत कर 1-2 खुद डिजिगनेटेड सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट से खड़ा कर सकते हैं।
हमारे SC, ST वर्ग के समस्त चीफ इंजीनियर, एडिशनल कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, एडिशनल एसपी, डिप्टी एसपी, डाइरेक्टर, DEO, BEO, आयुक्त सहित सारे अधिकारी-कर्मचारी पदोन्नति में आरक्षण को कोर्ट से जीत दिलाने की मुहिम में जुट जाएं। आप सामने नहीं आ सकते, लेकिन आप बैकडोर से हमें सपोर्ट कर सकते हैं।
यदि हम उच्च न्यायालय बिलासपुर से जीत जाएंगे तो हमारा विरोधी उच्चतम न्यायालय का शरण लेगा। हमें वहां के लिए भी तैयार रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट भी अपने फ़ैसले में बार बार क्वांटिफायबल डेटा पेश करने की बात कह रहा है। ताज़ा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हमारे स्टेट में क्वांटिफायबल डेटा संवैधानिक तरीक़े से एकत्र हो गई है।
वो दौर और था, जब हम पढ़े-लिखे जागरूक नहीं थे। 70 के दशक में हमारी जागरूकता की कमी से अधिकार छीने जाते थे। अब के दौर में हम जागरूक व साधन सम्पन्न हैं।
हमें अब कोई भी रिस्क नहीं लेना। एक दूसरे का मुंह ताकने का समय भी अब नहीं रहा। आपसी गिला-शिकवा बाद में देख लेँगे। प्रयास हो कि सुप्रीम कोर्ट के सारे बड़े चेहरे हमारे समर्थन में कोर्ट में खड़े हो।
अब ज्यादा क्यां लिखूं, आप सब समझदार हैं। आशा करते हैं जहां तक हमारी बातें जा रही है आप हमें फोन कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाने सहयोग प्रदान करेंगे। हमें पूर्ण विश्वास है, इस निर्णयाक घड़ी में आप हमारे साथ खड़े हैं।
फिलहाल हमें तत्काल एलबी संवर्ग के पदोन्नति में बगैर आरक्षण के प्रक्रिया को रोक लगाना है। 40 हजार पदों में आरक्षण रोस्टर के अनुसार 18 हजार पद हमारे हिस्से में आएंगे। वरिष्ठता के आधार पर केवल 3 से 4 हजार SC-ST आएंगे।
आरक्षण विहीन पदोन्नति से हम SC, ST वर्ग के कर्मचारियों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। नए पद भी सृजित नहीं हो पाएंगे।
हम लड़ेंगे और जीतेंगे।
हमें जो भी मिला,
संविधान से मिला।
जो भी पाया,
संविधान से ही पाया।
आइये पुनः हम सब मिलकर अपने संवैधानिक अधिकार आर्टिकल 16(4)क को पुनर्जीवित करने मजबूती से लड़ाई जारी रखें।
©विनोद कुमार कोशले, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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