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जैसा आपका मन होता है; संसार आपको वैसा ही नजर आता है, वैसे ही लोगों को आप देखने लगते हैं | Buddha

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

 

Buddha : If you are good, then the world is good – as your mind is, you see the world in the same way, you start seeing people accordingly, you start thinking, thinking and doing actions accordingly.

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : आप भला तो जग भला – जैसे आपका मन होता है संसार आपको वैसा ही नजर आता है, वैसे ही आप लोगों को देखने लगते हैं, उसी के अनुसार सोचने, विचारने और कर्म करने लगते हैं.(Buddha)

 

भगवान बुद्ध देशना में इसे एक लोकप्रिय कहानी से समझाते हैं- किसी गांव के पहाड़ पर दो गडरिये भेड़ बकरी चराया करते थे. एक दिन वहां से एक राहगीर ने गड़रियों से पूछा कि इस गांव के लोग कैसे हैं क्योंकि मुझे आज रात इसी गांव में ठहरना है.

 

एक गडरिये ने राहगीर से पूछा- पहले यह बताओ कि आपके गांव के लोग कैसे हैं? राहगीर ने उत्तर दिया- हमारे गांव के लोग बहुत बेईमान, ईर्ष्यालु, चालाक, छल कपटी और दुष्ट है.(Buddha)

 

यह सुन गडरिये ने कहा- इस गांव के लोग भी वैसे ही दुष्ट, कपटी और ठगी है इसलिए सावधान रहना.

 

दूसरे दिन एक दूसरे राहगीर ने उधर से जाते हुए गडरियों से गांव के लोगों के बारे में वही सवाल किया. उस गडरिये ने भी राहगीर से वही सवाल किया कि आपके गांव के लोग कैसे हैं? (Buddha)

 

राहगीर ने बताया कि हमारे गांव के लोग मेहमान, बुजुर्गों का सम्मान करने वाले, परोपकारी, ईमानदार और बहुत भले लोग हैं.

उस पर गडरिये ने कहा कि इस गांव के लोग भी बहुत शांत, अतिथि सत्कार करने वाले, ईमानदार और भले लोग हैं.

 

राहगीर के चले जाने पर दूसरे गडरिये ने अपने साथी से कहा कि तुम कैसे यह झूठ और विरोधाभासी बातें करते हो? कल ही तुमने पहले राहगीर से कहा था कि इस गांव के लोग दुष्ट, लालची और स्वार्थी हैं फिर आज प्रशंसा कर रहे हो कि इस गांव के लोग बहुत सहज, सरल, बड़ों का सम्मान करने वाले, मेहमान को देवता समझने वाले, भले लोग हैं. यह कैसा विरोधाभास है?(Buddha)

 

उस पर साथी ने कहा- यह दोनों राहगीर एक ही गांव के होने पर भी, उनमें से एक अपने गांव के लोगों की तारीफ कर रहा था जबकि दूसरा गांव के लोगों को चालाक, दुष्ट बताकर निंदा कर रहा था.

 

इसका यही कारण है कि यदि आप खुद ईमानदार सहज, सरल, निष्कपटी, भले हैं तो दूसरा भी वैसा ही लगने लगेगा. यदि आप खुद लोभी, स्वार्थी, चालाक और कपटी है तो दूसरा भी वैसा ही लगेगा.(Buddha)

 

इसलिए तथागत कहते हैं यह संसार मनोमय है. मन ही प्रधान है. सारा मन का खेल है. सब अपने चित्त, मन पर निर्भर करता है. मन ही सारे विचारों और कर्मो का मुखिया है.

 

मन को वश में कर हमें भलाई, अच्छाई की ओर चिंतन, मनन, विचार और कर्म करना चाहिए. यही सुख शांति का मार्ग है. यही सनातन सत्य है. यही धम्म है.(Buddha)

 

 

भवतु सब्बं मंगलं. सबका कल्याण हो. सभी प्राणी सुखी हो

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

 

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