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Buddha: जो धम्म को देखता है, वह मुझे देखता है और जो मुझे देखता है, वह धम्म को देखता है…

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

©डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान.


 

Buddha : There was a monk named Vakkali in the Bhikshu Sangha. He used to take a lot of pride in Buddha’s beautiful body with thirty-two characteristics along with God’s teachings and whenever Buddha preached from a high seat, he kept looking at God’s form.

 

ऑनलाइन बुलेटिन : भिक्षु संघ में वक्कलि नाम के एक भिक्षु थे. वह भगवान के उपदेशों के साथ बुद्ध की बत्तीस लक्षणां रुपवान काया पर बहुत गौरव करते थे और जब भी बुद्ध ऊंचे आसन से उपदेश देते थे तो वह भगवान के रुप को निहारते रहते थे.(Buddha)

 

एक बार वक्कलि बीमार पड़ गए. उन्होंने अपने साथी भिक्षु से इच्छा जाहिर की कि वह भगवान के दर्शन करना चाहते है. खबर तथागत तक पहुंचाई. शाक्य मुनि बुद्ध भिक्षु की इच्छा को पूरी करने के लिए विहार में उनके पास गए.

 

दूर से भगवान को आता देखकर बीमार वक्कलि उनको आसन देने के लिए चारपाई से उठने की कोशिश करने लगे.(Buddha)

 

भगवान ने वक्कलि को करुणा से रोकते हुए कहा, ‘चारपाई पर आराम से लेटे रहो, तकलीफ मत करो. मेरे लिए आसन तैयार है.’

 

भगवान पास ही बिछे हुए आसन पर बैठ गए. उनके दर्शन कर श्रद्धा व कृतज्ञता से वक्कलि का चेहरा खिल उठा. उन्होंने भगवान की वंदना करते हुए निवेदन किया कि आपके दर्शन की बड़ी इच्छा थी जिसे कृपा कर आपने पूरा कर दिया.(Buddha)

 

शाक्यमुनि बुद्ध ने करुणा व मैत्रीभरे शब्दों में वक्कलि से कहा, ‘शांत वक्कलि! जैसी तुम्हारी काया है वैसी ही मेरी काया है. क्षणभंगुर, अनित्य. जैसी तुम्हारी गंदी काया है वैसे ही मेरी भी काया गंदी है. इस गंदी काया को देखने से क्या लाभ होगा ? शरीर के रुप पर नहीं, धम्म पर ध्यान दो.’

 

‘जो धम्म को देखता है वह मुझे देखता है और जो मुझे देखता है वह धम्म को देखता है.'(Buddha)

 

भगवान बुद्ध द्वारा अपने शरीर के संबंध में अपने शिष्य से यह कहना कि ‘इस गंदी काया को देखने से क्या लाभ’

 

यह एक ऐसी साहसिक वाणी है जिसे किसी धर्म का शास्ता या गुरु अपने शिष्यों से आज तक नहीं कह सका. रूप के प्रति राग, मोह, आसक्ति तथागत की बिल्कुल नष्ट हो गई थी. और उसे दूर किए बिना कोई बुद्ध नहीं बन सकता. (Buddha)

 

 

सबका मंगल हो… सभी प्राणी सुखी हो… सभी निरोगी हो

 

Buddha
डॉ. एम एल परिहार

 

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