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हर घर की शान होती है नारी | ऑनलाइन बुलेटिन

©ममता आंबेडकर

परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

 

 

नारी हर घर की शान होती है।

नारी पुरुष के सर का ताज होती है।

 

पुरुष जब थक जाए तो स्त्री को ढूंढता है।

पुरुष जब ऊब जाए तो स्त्री को ढूंढता है।

 

पुरुष जब टूट जाए तो स्त्री को ढूंढता है।

पुरुष के हर दुख की दवा स्त्री होती है।

 

प्यार में डूबी स्त्री शिशु के समान होती है।

प्यार में आंखें बंद करके विश्वास करती है।

 

प्यार में छली गई स्त्री पत्थर के सामान होती हैं

 

कितने भी मौसम बदल जाए लेकिन उस पर कोई असर नहीं होता

 

स्त्री जब मोंन हो जाए अपना कोई अधिकार न दिखाए नाज

 

नखरे सब भूल जाएं तो समझ लेना तुमने उसे खो दिया है

 

वो साथ होकर भी तेरे साथ नहीं है

उसके हाथों में तेरा हाथ नहीं है

 

अपनी आजादी को अपने घूंघट में छुपा कर बेरंग आंचल ओढ़ लेती हैं

फिर भी सारे रिश्ते बड़े प्यार से निभा लेती हैं

 

बन्धन की अदृश्य बेड़ियों की पायल बनाकर पांव में पहन लेती हैं

नारी हर घर की शान होती हैं

नारी पुरुष के सर का ताज होती हैं ….

 


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